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पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः

पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४ ॥

कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।

दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि

दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि

श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्

दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्

श्री सरस्वती अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध read more कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः

दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि

भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥ ११ ॥

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